नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है. नवदुर्गा हिंदु धर्म में माता दुर्गा या पार्वती के 9 रूपों को एक साथ कहा जाता है. इन्हें पापों की विनाशिनी कहा जाता है. हर देवी के अलग-अलग वाहन हैं, अस्त्र-शस्त्र हैं.आज नवरात्रि का चौथा दिन है. आज मां कूष्माण्डा की पूजा-अर्चना की जाती है.
कूष्माण्डा देवी कौन हैं?
ये नवदुर्गा का चौथा स्वरुप हैं. अपनी हल्की हंसी से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्माण्डा पड़ा. ये अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं. मां की आठ भुजाएं हैं इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते हैं. संस्कृत भाषा में कूष्माण्डा को कुम्हड़ कहते हैं और मां कूष्माण्डा को कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है. ज्योतिष में मां कूष्माण्डा का संबंध बुध ग्रह से है.
क्या है देवी कूष्माण्डा की पूजा विधि?
– हरे कपड़े पहनकर मां कूष्माण्डा का पूजन करें.
– पूजन के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ और कुम्हड़ा अर्पित करें.
– इसके बाद उनके मुख्य मंत्र ‘ॐ कुष्मांडा देव्यै नमः’ का 108 बार जाप करें.
– चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं.
मां कूष्माण्डा का विशेष प्रसाद क्या है?
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो मां को उनका उनका प्रिय भोग अर्पित करने से मां कूष्माण्डा बहुत प्रसन्न होती हैं….
– मां कूष्माण्डा को मालपुए का भोग लगाएं.
– इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान कर दें और खुद भी खाएं.
– इससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी हो जाएगी.