बुधवार का दिन प्रभु श्री गणेश को समर्पित हैं। प्रभु श्री गणेश बुद्धि प्रदाता होने के साथ शुभता प्रदान करने वाले भगवान माने जाते हैं। बुधवार का उपवास घर से सभी समस्याओं को दूर करता है तथा सुख-शांति लेकर आता है। इस दिन प्रभु श्री गणेश की पूजा के साथ बुद्ध देव की भी आराधना की जाती है। वही यदि आपको त्वचा से जुड़ा कोई रोग है, व्यवसाय में नुकसान हो रहा है, कर्ज से परेशान हैं या घर में अक्सर क्लेश बना रहता है तो आपको बुधवार का उपवास अवश्य करना चाहिए। ऐसे में ये व्रत बहुत फायदेमंद माना जाता है।
बुधवार का उपवास वैसे तो किसी भी महीने में शुक्ल पक्ष के बुधवार से आरम्भ किया जा सकता है, किन्तु इसे विशाखा नक्षत्र वाले बुधवार से आरंभ करना बहुत शुभदायी माना जाता है। अग्निपुराण में भी विशाखा नक्षत्र वाले बुधवार से उपवास आरम्भ करने की बात कही गई हैं। इसके अतिरिक्त एक बार व्रत आरम्भ करने के पश्चात् कम से कम 7 व्रत रहने चाहिए। यदि परेशानी अधिक विकट है तो 21 या 24 बुधवार तक व्रत रखें। अंतिम व्रत वाले दिन इसका उद्यापन कर दें।
स्नानादि से निवृत्त होकर बुधवार के यंत्र को मंदिर में स्थापित करें। तत्पश्चात, प्रभु श्री गणेश को याद करके बुधवार के जितने व्रत करने हों, उसका संकल्प लें। इसके पश्चात् उनकी पूजा करें। पूजा के चलते उन्हें रोली, अक्षत, दीपक, धूप, दक्षिणा, दूब आदि अर्पित करें। उन्हें लड्रडू या मूंग की दाल का बना हलवा प्रसाद में चढ़ाएं। बुधदेव को याद करके बुध यंत्र का पूजन करें। बुध यंत्र पर जल तथा हरी इलाएची, रोली, अक्षत, पुष्प आदि चढ़ाएं। इसके पश्चात् बुधवार के व्रत की कथा पढ़ें और आरती करें।