जीवन में जो भी अच्छा या बुरा होता है, वह नवग्रहों की देन है। वैसे तो ये सभी अपने-अपने तरीके से हम सभी पर अपना प्रभाव डालते हैं लेकिन ग्रहों का सेनापति मंगल ग्रह सबसे तेज और पराक्रमी माना जाता है। इनका मुख्य तत्त्व अग्नि है। लाल रंग और तांबे पर इनका स्वामित्व स्थापित है। मेष और वृश्चिक राशि के ये स्वामी हैं। जो जातक मंगलवार को ये उपाय करता है, हनुमान जी उसे जीवन का हर सुख देते हैं और मंगल दोष को भी शांत रखते हैं। शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को हनुमान जी के ऐसे मंदिर में जाएं जहां उनकी मूर्ति की परिक्रमा हो सके।

उपाय : 5 किलो गेहूं, 5 किलो गुड़, 5 किलो मसर साबुत, 5 लाल अनार, 5 ताम्बे के सिक्के, 5 लाल गुलाब फूल, 2 1/4 मीटर लाल कपड़ा।

पूजन का सामान : सिंदूर केसरी का एक पैकेट, 2 चम्मच चमेली का तेल अथवा शुद्ध घी, 1 पानी वाला नारियल, पांच बेसन के लड्डू, जनेऊ, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, फूल इत्यादि अलग से लेकर जाएं।

विधि : उपरोक्त वर्णित सारा सामान लाल वस्त्र में बांध कर गठड़ी बनाकर श्री हनुमान जी के मंदिर में ले जाएं जहां मूर्ति की परिक्रमा हो सके।

पूजन का सामान एवं गठड़ी ब्राह्मण को देकर कहें कि वह मंगल एवं हनुमान जी का पूजन करवाए, उपरांत दक्षिणा सहित उपाय वाले सामान की गठड़ी ब्राह्मण को संकल्प करके दान में दे दें। मूर्ति की परिक्रमा करते समय निम्रलिखित चौपाई पढ़ें।

‘माता अंजनी पिता पवन- हनु तुम बिन काज संवारे कौन। कसम तुम्हें तेरे सिया राम की मेरे काज संवारो आन।’’

‘‘पवन तनय वल वेग समाना बुद्धि विवेक ज्ञान विज्ञाना, कौन सो काज कठिन जग माहि जी नहीं होते तात तुम पाही।’’

हर मंगलवार गऊशाला में कत्थई रंग के सांड को 8 मीठे गुड़-आटे से बने रोट चराएं।