सुखी घर का मार्ग मुख्य द्वार से होकर जाता है। घर में तनाव रहता है या पारिवारिक सदस्यों में वाद-विवाद समाप्त नहीं होता, तो समझ जाएं आपके आशियाने पर नकारात्मक एनर्जी का ही राज है। वास्तुशास्त्र की मानें तो मुख्य दरवाजे के पास न रखें ये सामान अन्यथा कभी नहीं बस पाएगा आपका परिवार। मुख्यद्वार के पास किसी भी प्रकार का भूमिगत पानी का स्रोत होगा तो आत्महत्या या दुर्घटना से मृत्यु हो सकती है या किसी प्रकार की अनहोनी का शिकार होती है। अनुभव में आया है कि, जिस घर में डाका पड़ता है। उस घर के दरवाजे सब एक कतार में होते हैं। मुख्यद्वार उत्तर वायव्य में होकर सबसे पीछे का बाहर पड़ने वाला दरवाजा अगर दक्षिण नैऋत्य में हो या पूर्व आग्नेय से पश्चिम नैऋत्य में एक कतार के दरवाजे हों तो वहां डाका पड़ सकता है।
मुख्य दरवाजे को खोलते और बंद करते समय अवरोध नहीं होना चाहिए।
कांटेदार पौधे न तो मुख्य दरवाजे पर लगाएं और न ही घर के भीतर। इससे पारिवारिक सदस्यों पर विपरीत प्रभाव उत्पन्न होता है ।
पश्चिम नैऋत्य में चारदीवारी या घर का मुख्य द्वार हो तो घर के पुरुष बदनामी जेल, एक्सीडैंट या खुदकुशी के शिकार होते हैं। हार्ट अटैक, ऑपरेशन, एक्सीडैंट, हत्या, लकवा या किसी प्रकार की जालिम मौत से मरते हैं। यह द्वार शत्रु स्थान का है। यदि इसी के साथ यहां किसी भी प्रकार की रेम्प, नीचाईयां, भूमिगत पानी का स्रोत हो तो उस घर में किसी पुरुष सदस्य की आत्महत्या या दुर्घटना से मृत्यु हो सकती है अथवा परिवार के पुरुष सदस्य के साथ अनहोनी होती है।
मुख्य दरवाजे के पास कूड़ेदान न रखें। इससे देवी लक्ष्मी नाराज होती हैं। डस्टबिन दक्षिण-पश्चिम जोन में रखें।
मेन गेट के सामने मिरर न लगाएं, ऐसा करने से घर की सकारात्मक एनर्जी घर से बाहर चली जाती है।
मुख्य दरवाजा उत्तर अथवा पूर्व दिशा में पूरी लम्बाई के नौ भाग करके 7वें भाग में अथवा दाईं ओर से 5वां भाग व बाईं ओर से 3 भाग छोड़कर शेष चौथे भाग में हो।
मुख्य द्वार से बाहर निकलते समय दाहिनी ओर घड़ी के कांटे की दिशा में खुलना चाहिए।
घर के पूर्व आग्नेय में मुख्य द्वार होने पर घर में कलह और चोरी से नुकसान होता है। यदि इसी के साथ वहां रेम्प, गड्ढा या ढलान हो तो घर का मालिक या मालकिन पाप कर्म करते हुए मानसिक दुःख से पीड़ित रहते हैं।
उत्तरी वायव्य का प्रवेशद्वार दुःखदायी, कलहकारी, वैरभाव, मुकदमेबाजी व बदनामी लाने वाला रहता है। इसी के साथ यदि यहां रेम्प, गड्ढा हो शत्रु की संख्या में वृद्धि, स्त्री को कष्ट, घर में मानसिक अशांति रहती है। दक्षिण नैऋत्य में घर या कम्पाउण्ड वाल का द्वार हो तो उस घर की महिलाएं गम्भीर बीमारियों की शिकार होती है