मिनी वर्ल्ड कप यानी चैंपियंस ट्रॉफी का आगाज हो गया है, लेकिन विश्व की नंबर वन टीम इंडिया के लिए ये टूर्नामेंट है लाज की लड़ाई और इस बार वजह सिर्फ खेल नहीं, बल्कि खेल के उपर हुए खेल हैं।क्रिकेट के इस महासंग्राम में दो ग्रुपों में बांटी गई हैं आठ टीमें। ग्रुप बी में भारत के दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 6 जून के मुकाबले से होगी चैंपियन्स की इस जंग की शुरुआ…
मिनी वर्ल्ड कप यानी चैंपियंस ट्रॉफी का आगाज हो गया है, लेकिन विश्व की नंबर वन टीम इंडिया के लिए ये टूर्नामेंट है लाज की लड़ाई और इस बार वजह सिर्फ खेल नहीं, बल्कि खेल के उपर हुए खेल हैं।क्रिकेट के इस महासंग्राम में दो ग्रुपों में बांटी गई हैं आठ टीमें। ग्रुप बी में भारत के दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 6 जून के मुकाबले से होगी चैंपियन्स की इस जंग की शुरुआत। 11 जून को वेस्टइंडीज़ और फिर 15 जून को योद्दाओं के रण का सबसे बड़ा मुकबाला यानि पाकिस्तान। ये है टीम इंडिया का ग्रुप स्टेज का सफर और सभी बाधाएं पार हुईं तो फिर सेमीफाइनल का इम्तिहान और 23 जून को होगी फाइनल फाइट। लगभग 17 दिन के इस महासंग्राम में नंबर वन और वन-डे विश्व चैंपियन टीम के लिए है बहुत कुछ दांव पर।फिक्सिंग की फांस….इतिहास में ऐसा कम ही हुआ होगा जब किसी बड़े टूर्नामेंट से पहले टीम इंडिया पर उम्मीदों का बोझ न हो, पर इस बार युवा टीम के सामने चुनौती खेल मे बेहतर करने से ज्यादा विवादों में फंसी भारतीय क्रिकेट की साख को बचाने की है। लेकिन अच्छी बात ये है कि हर जगह शक से देखी जा रही भारतीय क्रिकेट को उसकी साख वापिस दिलाने के लिए मिला है टीम को बड़ा स्टेज यानि मिनी विश्व कप। अब खिलाड़ियों के सामने है मैदान के बाहर के नकारात्मक माहौल को भूलकर सिर्फ क्रिकेट पर ध्यान लगाने की चुनौती जिसमे कम से कम अभयास मैचों में टीम खरी उतरी और अब असली मुकाबलों का है इम्तिहान।दुविधा में धोनीअपने करियर में कई इम्तिहानों पर विजयी झंडा बुलंद कर चुके कप्तान धोनी खड़े हैं करियर के सबसे अहम मोड़ पर। बल्ले से रन बरस रहे हैं, लेकिन फिक्सिंग के आरोपों में आई टीम, टीम मालिक, परिवार, हर सवाल हैं जो उनसे साथ जुड़ा है। धोनी अब तक खामोश हैं, पर अब जवाब देने की बारी है। धोनी को दिखाना है कि कूल वो सिर्फ मैदान पर ही नहीं हैं, बल्कि अगर निजी जिंदगी की बाधाएं भारी पडें तो उससे भी पार पाने का हुनर उनके पास है। न सिर्फ अपना, बल्कि टीम का भी फोक्स सिर्फ खेल पर लाने की जिम्मेदारी सीधे माही के कंधे पर है। अलावा इसके ओपनिंग कॉंबिनेशन, जडेजा या इरफान, 7 बल्लेबाज़ या 5 गेंदबाज और युवराज की गैर मौजूदगी में मिडिल ऑर्डर के लीडर की भूमिका जैसे कई सवाल माही के सामने हैं।मिशन 2015 का इम्तिहानचैंपियंस ट्रॉफी में अब तक साल 2000 में फाइनल और 2002 में लंका के साथ संयुक्त विजेता टीम इंडिया पहली बार आईसीसी का कोई बडा टूर्नामेंट सचिन, सहवाग गंभीर और युवराज जैसे बडे़ नामों के बिना खेलने आई है। टीम का चुनाव नाम नहीं काम पर हुआ है और ये शुरुआत है विश्व कप 2015 के लिए नईं टीम खड़ी करने की यानि टीम इंडिया को न सिर्फ जीत हासिल करनी है, बल्कि विश्व को ये भी बताना है कि नईं पीढी में है मादा भारतीय क्रिकेट की विरासत को संभालने का। कुल मिलाकर बाकि टीमों के लिए ये कोई एक और टूर्नामेट हो सकता है लेकिन टीम इंडिया के लिए है ये साख की सबसे बड़ी लडाई।