बीसीसीआई, यूं तो क्रिकेट की दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड है लेकिन अब बोर्ड लगाना चाहता है अपने ख़र्चों पर लगाम। आपको शायद सुनकर हैरानी हो, लेकिन पैसे बचाने के चक्कर में बोर्ड ने बना लिया है बैंगलोर की नेशनल क्रिकेट अकादमी पर ताला जड़ने का प्लान।दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड को सता रही है ख़र्चे की फ़िक्र। बीसीसीआई ने बना लिया है कॉस्ट कटिंग का प्ल…
बीसीसीआई, यूं तो क्रिकेट की दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड है लेकिन अब बोर्ड लगाना चाहता है अपने ख़र्चों पर लगाम। आपको शायद सुनकर हैरानी हो, लेकिन पैसे बचाने के चक्कर में बोर्ड ने बना लिया है बैंगलोर की नेशनल क्रिकेट अकादमी पर ताला जड़ने का प्लान।दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड को सता रही है ख़र्चे की फ़िक्र। बीसीसीआई ने बना लिया है कॉस्ट कटिंग का प्लान और इसी कड़ी में बोर्ड ने कर ली है तैयारी नेशनल क्रिकेट अकेडमी पर ताला जड़ने की। बीसीसीआई के जरनल मैनेजर रत्नाकर शेट्टी ने 12 अप्रैल को चेन्नई में हुई एनसीए कमेटी की मीटिंग में इस बार में एक प्रपोज़ल भी रखा था। इस प्रपोज़ल में यह भी कह गया है कि कोचिंग और एडमिस्ट्रेटिव स्टॉफ़ को उनकी ज़िम्मेदारियों से मुक्त कर देना चाहिए जबकि फ़ीज़ियो और ट्रेनर्स को रिटेन किया जाना चाहिए और अकेडमी को रिहैबलिटेशन-कम-ट्रेनिंग सेंटर में बदल दिया जाना चाहिए। हालांकि इस प्रपोज़ल पर आख़िरी फ़ैसला सोमवार यानी 22 अप्रैल को लिया जाएगा।इन फ़ैसलों को लिए जाने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। सबसे बड़ी वजह हर साल एनसीए का बढ़ता ख़र्च है। बीसीसीआई के बजट पर हर साल एनसीए की वजह से लगभग 16 करोड़ का बोझ पड़ता है लेकिन अगर इस नए प्लान को मंजूरी मिल जाती है एनसीए का ख़र्च घटकर ढेड़ से दो करोड़ रह जाएगा। बोर्ड यह भी तर्क देकर रहा है कि सालभर में सिर्फ़ 4 महीने ही अकेडमी पूरी तरह से काम करती है जबकि के आठ महीनों में सिर्फ़ वो चोटिल खिलाड़ी ही यहां आते हैं।साथ ही बोर्ड ने यह फ़ैसला भी लिया है कि अंडर-16,19 और 25 कैंप अब चेन्नई, मुंबई और मोहाली में लगेंगे जो पहले एनसीए में लगा करते थे। इसलिए अब एनसीए में इतने कोचेज़ और स्टॉफ़ की कोई ज़रूरत नहीं है तो फिर बोर्ड बेवजह 8 महीने की सैलेरी का भार क्यों उठाए। जून से अकेडमी में एक लोकल कोच कुछ और लोगों के साथ कॉन्ट्रैक्टेड खिलाड़ियों की मदद के लिए मौजूद रहेंगे लेकिन टीम इंडिया, इंडिया-ए, अंडर-19 और महिला खिलाड़ियों के लिए ट्रेनिंग वेन्यू एनसीए ही रहेगा। बीसीसीआई की इस सारी उधेड़-बुन के बीच एक सवाल तो ज़रूर उठता है कि दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड को पैसे बचाने के लिए एनसीए पर ताला लगाने की क्या ज़रूरत।