एक बार फिर खामोश रहा सचिन का बल्‍ला

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टीम इंडिया ने कंगारुओं को किया खल्लास लेकिन क्लीन स्वीप के बाद जीत के जश्न में मास्टर के किया कुछ ऐसा इशारा जो बिना कहे ही सब कुछ कह गया।क्या कहना चाहते हैं सचिन, मास्टर के इस इशारे के क्या मायने समझे जाए। जीत के जश्न के बाद मास्टर ने जिस तरह हाथ हिलाया तो लगा कि अटकलों पर लगा दी मास्टर ने मुहर। अटकले यहीं कि भारतीय सरजमीं पर मास्टर का हो सकता है य… एक बार फिर खामोश रहा सचिन का बल्‍लाटीम इंडिया ने कंगारुओं को किया खल्लास लेकिन क्लीन स्वीप के बाद जीत के जश्न में मास्टर के किया कुछ ऐसा इशारा जो बिना कहे ही सब कुछ कह गया।क्या कहना चाहते हैं सचिन, मास्टर के इस इशारे के क्या मायने समझे जाए। जीत के जश्न के बाद मास्टर ने जिस तरह हाथ हिलाया तो लगा कि अटकलों पर लगा दी मास्टर ने मुहर। अटकले यहीं कि भारतीय सरजमीं पर मास्टर का हो सकता है यह आखिरी टेस्ट। हो सकता है कि हिंदुस्तान में मास्टर का यह आखिरी टेस्ट हो। अगर ऐसा है तो मास्टर को जीत के साथ भारतीय सरजमी पर विदाई तो मिली लेकिन उनके बल्ले ने जरूर किया इंसाफ।कोटला की आखिरी समझे जाने वाली इस पारी में भी टूट गई आस। जीत के लिए स्कोर बोर्ड पर कुछ ही रन और टांगने थे, उम्मीद थी कि मास्‍टर कोटला में अपने बल्ले से ऐतिहासिक जीत दिलाकर लौटेंगे। फैन्स के चेहरे पर लाएंगे मुस्कान लेकिन मास्टर ने मुस्कान की जगह एक बार फिर किया मायूस। लायन की फिरकी में फंस कर हर उम्मीद को बीच में छोड़कर लौट गए मास्टर। दूसरी पारी में सिर्फ एक रन निकला मास्टर के बल्ले से।इस टेस्ट में सचिन के भाई अजित तेंदुलकर भी रहे मास्टर की पारी देखने के लिए मौजूद। अजित तेंदुलकर वहीं हैं जिनकी वजह से सचिन बने मास्टर ब्लास्टर लेकिन उनकी मौजूदगी भी सचिन के बल्ले से शतक नहीं निकलवा सकी। यही नहीं सीरीज में भी सचिन के बल्ले से निकले 4 टेस्ट की सात पारियों में 32 की ओसत से महज 192 रन। चेन्नई में 81 रन की धमाकेदार पारी से सीरीज का आगाज करने के बाद पस्त पडते गए सचिन। साथ ही और लंबा हो गया मास्टर के बल्ले से शतक का भी इंतजार। मास्टर ने अपना आखिरी शतक साल दो हजार ग्यारह में केपटाउन में लगाया था और तब से लेकर अब तक हर बार सचिन का स्वागत तालियों की इन गड़गड़ाहट से होता जा रहा है लेकिन नहीं निकला तो सिर्फ शतक।शतक के इंतजार में मास्टर खेल चुके हैं 38 पारियां। इंतजार की इस लिस्ट में पारी दर पारी वो चढ़ते जा रहे है सीढियां। निश्चित तौर पर मास्टर के यूं फेल होने पर उनके हर चाहने वालों को मलाल है। मलाल इसलिए भी क्योंकि एक महीने बाद पूरे चालीस का हो ने जा रहे सचिन में कैसे उम्मीद की जाए कि अगले साल जब अक्टूबर 2014 में खेली जाएगी भारतीय सरजमीं पर कोई टेस्ट सीरीज तो क्रिकेट के भगवान फिर देंगे यह तस्वीरें दोहराने का मौका।