जिंबाब्वे दौरे पर जाने वाली टीम में कश्मीर के परवेज रसूल को भी जगह मिली है जिससे घाटी में खुशी का माहौल है। वो इसे घाटी के लिए एक नईं शुरुआत मान रहे हैं।जिंबाब्वे दौरे के लिए टीम चुनी गई तो एक बार फिर टीम में युवाओं की थी भरमार। लेकिन इन सब युवा चेहरों में जो एक नाम हट कर है वो है घाटी के पहले क्रिकेटर परवेज़ रसूल का। जम्मू कश्मीर की तरफ से खेलने…
जिंबाब्वे दौरे पर जाने वाली टीम में कश्मीर के परवेज रसूल को भी जगह मिली है जिससे घाटी में खुशी का माहौल है। वो इसे घाटी के लिए एक नईं शुरुआत मान रहे हैं।जिंबाब्वे दौरे के लिए टीम चुनी गई तो एक बार फिर टीम में युवाओं की थी भरमार। लेकिन इन सब युवा चेहरों में जो एक नाम हट कर है वो है घाटी के पहले क्रिकेटर परवेज़ रसूल का। जम्मू कश्मीर की तरफ से खेलने वाले ऑफ-स्पिनर ऑलराउंडर परवेज़ रसूल पहले ऐसे क्रिकेटर बनेंगे जो नीली जर्सी पहनने जा रहे हैं।लेकिन परवेज के लिए घाटी की गलियों से टीम इंडिया तक ये सफर इतना आसन नहीं रहा। दरअसल साल 2009 में बैंग्लेर के चिन्नास्वामी स्टेडियम में हुए बंब धमाकों को छींटे परवेज पर भऊ पड़े और उनसे भी इस बारे में पूछताछ की गई, लेकिन बाद में उन्हें इस मामले में क्लीन चिट मिली। आज परवेज़ टीम इंडिया का हिस्सा बन गए हैं। जाहिर है खुशी अब लफ्ज़ों में बयां नहीं हो पा रहीदरअसल परवेज का टीम इंडिया के लिए चुना जाना सिर्फ एक युवा को मिलने वाला मौका नहीं है, बल्कि ये एक उम्मीद की नईं किरम है जो पूरी घाटी परवेज़ की नजरों से देख रही है। उम्मीद की जानी चाहिए की परवेज टीम इंडिया के लिए जिम्ब्बावे के दौर पर दम दिखा कर अपनी जगह कर ले पक्की क्योंकि परवेज का टीम मे चुनाव सिर्फ एक मौका नहीं है, बल्कि बदलाव की एक मीठी ब्यार भी है। भारतीय क्रिकेट टीम में पहले कश्मीरी खिलाड़ी को जगह मिली है, जिससे घाटी में खुशी का माहौल है। खुद परवेज रसूल भी चयन से काफी खुश हैं।